Sunday, January 18, 2009

होली

होली के इन भिन्न भिन्न रंगो का इन्द्रधनुष

मस्ती बन छाया हर तन पर

मन के उन्मुक्त तारो को जोड्ती होली की उमंग

भांग और गुलाल के मौसम ने फैलाया उल्लास

रंगो की टोलियां निकली गली गली

हर कोई भूला भेद, बहम, बैर की बातें

डूबा मस्ती, मिलन, मतवाले मस्त महोल में

फाल्गुन का ये महीना, होलिका का जलाता अहंकार

प्रक्रति और हमारी सन्स्क्रति का, अनूठा है सूत्रधार

चलो करें सैर रंगो के इस मेले की

चलो सुने कथा प्रहलाद, होलिका की

जला दो होली में अपने सारे गम और बुराई

दूसरे दिन करो रंग और भांग रूपी आनन्द की शुरुआत

यही तो हमें देती सीख इतिहास की ये मधुर स्म्रति

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