Thursday, April 15, 2010

जननी जन्मभूमिस्च स्वर्गादपि गरीयसी


माँ की याद में कुछ पंक्तियाँ

निश्छल निर्विकार न्यारी
हर पल मेरी हितकारी
सपनों में भी दुलारी
ममता में सनी बाबरी
ऐसी होती है माँ प्यारी !

तेरा स्पर्श जैसे सम्बल और सुकून
तेरा ममता का आँचल बन गया सामर्थ्य
तुझसे बढ़कर प्रेरणा और क्या होगी
तुझको देखा तो जाना ईश्वर का रूप

हर पल मुझे सोचती माँ
कोसों दूर से भी मेरे हर पल को जानती माँ
हर मंदिर में मेरे लिए दिए सजाती माँ
मेरी हर गलती को मांफ करती माँ
मुझे आंचल के साए में सुलाती माँ
मेरे हर पथ पर साथ निभाती माँ
मेरी छोटी बड़ी खुशियों में उन्मादी माँ
हर वक़्त, अपने लाडले पर सयाती माँ

में रोऊँ या चिल्लाऊं
या फिर गीत ख़ुशी के गाऊं
चाहे कहीं भी में चला जाऊं
और कुछ भी में कर डालूं
बस एक बात में जानूं
तू में हूँ और मैं तू हूँ

~राम त्यागी
अप्रैल १५ 2010

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