Tuesday, May 4, 2010

सखा

मेरे सखा बात तो करो
दर्दे दिल अपना बयाँ करो
रूखे रूखे से ना रहा करो
दर्द मेरा भी समझा करो

मेरे पास भी कभी रहा करो  
कभी समंदर किनारे चला करो
मेरे साथ तुम भी सपने बुना करो

ओस कि बूंदे निहारा करो
भाव मेरे समझा करो
आंसुओं कि क़द्र जाना  करो
इन्हें ऐसे ही ना बहाया करो

7 comments:

संजय भास्‍कर said...

हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

acchhi rachna hai !

राम त्यागी said...

Thanks Sanjay and Indranil for your comments :)

शरद कोकास said...

पढ़ रहा हूँ भाई राम ।

कडुवासच said...

... बेहतरीन!!!

राम त्यागी said...

Thanks Sharad and Uday

Dev K Jha said...

बहुत अच्छे गुरु.

मेरे पास भी कभी रहा करो
कभी समंदर किनारे चला करो
मेरे साथ तुम भी सपने बुना करो

वाह वाह...