Saturday, August 7, 2010

इन्द्रधनुष

कल वाल स्ट्रीट पर इन्द्रधनुष देखा

अमीरों को तरह तरह के स्वांग करते देखा

किसी को अपने लाडले कुत्ते को घुमाते देखा

तो किसी को पास के जिम में वर्जिश करते देखा

इन सबसे दूर

रात के अँधेरे में,

एक गरीब वृद्ध को अपने लाडले के जीवन के लिए

खाली पड़ी हुई,

बिखरी हुई बोतलें बीनते भी देखा !!

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मेरी आवाज

Friday, August 6, 2010

विषमता

पिज्जा,
पास्ता,
पनीर और पिश्तेदार हलुआ
जो था बारी बारी सब कुछ परोसा गया 
कान्हा,
नटखट,
लाडला और प्यारा
जो भी था हर मनोहारी शब्द बोला गया
पर निवाला उसके मुँह में ना गया
खाने को देखकर मुँह बनाता रहा
माँ से रहा न गया
एक एक कौर विनती कर सह्रदयता से
माँ के द्वारा जबरदस्ती खिलाया गया

रह रह कर मुझे
अधनंगा खड़ा
मेरे गाँव का बच्चा याद आता गया
थाली में जो डाला
उसे आनन्दित हो
दोनों हाथो से
पूरी मस्ती से
स्वाद ले ले कर
कुछ ही देर में चट कर गया
हर कौर के बाद
संतृप्ति की हलकी हलकी
सांस भरता गया
जैसे भोजन की महत्ता
श्रम की तपन का
 अहसास ताजा कर गया !!